मुझे घर आए एक घंटा हो गया था । लेकिन अभी भी मुझे अंदर गरम-गरम लग रहा था । मुझे लगता है कि थीओ के शेक में कुछ गड़बड़ी थी ।a तभी अचानक पार्सली ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने लगा । ‘समोसा जिसके बिना अधूरा, वह है आलू, जितेगा जो आज चैम्पियनशिप, वह सबका फेवरिट आलू।’
बोलो, जब इसे बोलना था तब नहीं बोला और अब मेरी कविता गा रहा है । ऊपर से मम्मी उसे देखकर खुश हो रही थीं । मुझे लगा ‘कविता मेरी है और मम्मी उसे देखकर खुश हो रही हैं ।’ मुझे यकीन है कि पार्सली ही मम्मी का फेवरिट है । मुझे अंदर इतना गरम लगा कि मैंने कुछ ठंडा-ठंडा खाकर रूम में जाकर सो जाने का निश्चय किया । तभी...
मेरा नाम सुनते ही मैंने सोने की एक्टिंग की । मेरा किसी से मिलने का मूड नहीं था । तभी पार्सली ने आकर मुझसे कहा, ‘आलूभाई आपको बुला रहे हैं ।’ आलू कब से ‘भाई’ हो गया ! पार्सली ने मुझे तो कभी इतना सम्मान नहीं दिया । लेकिन उस समय मैं उसके साथ झगड़ा नहीं करना चाहता था क्योंकि अभी मुझे उससे काम था । मैंने उसे धीरे से कहा, ‘तुम आलू से जाकर कह दो कि चिली सो गया है ।’ वह मुझे देखता ही रह गया । फिर मैंने उससे कहा, ‘यदि तुम ऐसा कहोगे तो मैं तुम्हें एक वीक तक रोज चिली शेक पिलाऊँगा ।’ यह सुनकर उसकी आँखों में चमक आ गई । और वह तुरंत ही उड़कर बाहर गया ।
सचमुच, मूर्खता का कोई स्कूल होता तो पार्सली का उसमें हमेशा पहला नंबर आता ! मैं तुरंत ही उड़कर बाहर गया । आलू पार्सली की बात से कन्फ्यूज़ था लेकिन मुझे देखकर खुश हो गया । और पार्सली मुझे देखकर ज्यादा कन्फ्यूज़ हो गया । उसने मुझसे कहा, ‘लेकिन तुमने तो कहा था कि तुम... ’ मैंने उसका मुँह बंद किया और कहा कि ‘अभी तुम चुपचाप यहाँ से चले जाओगे तो मैं तुम्हें एक वीक तक चिली शेक पिलाऊँगा ।’ उसने इशारा किया, ‘दो’।
मम्मी को पार्सली कितना मासूम और भोला लगता है । लेकिन वह कितना बदमाश है वह मुझे ही पता है । पार्सली वहाँ से चला गया और आलू मेरे पास आया । उसने मुझे अपनी ट्रॉफी दिखाई और मुझे गले लगा लिया, ‘मैं जीत गया !’ मुझे खुशी होनी चाहिए थी, लेकिन पता नहीं मुझे फिर से अंदर इतना ज्यादा गरम-गरम लगने लगा कि मैं क्या बताऊँ ! अब मैं यह सुन-सुनकर थक गया था कि ‘आलू जीत गया।’