अपसेट होकर चिली थीओ के कैफ़े पर गया। पार्सली और आलू भी चिली को सरप्राइज़ पार्टी देने के लिए कैफ़े जाने के लिए निकले। पार्सली के मना करने के बावजूद आलू ने कोको को पार्टी में आने के लिए कहा। चलो देखते हैं, थीओ के कैफ़े पर पहुँचकर चिली ने क्या देखा?
जब मैंने ऊपर से थीओ के कैफ़े पर बैनर देखा ‘बेस्ट सिंगर, बेस्ट फ्रेन्ड चिली’ तो पहले तो मुझे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ।
फिर जब मैंने नीचे जाकर देखा तो मुझे और भी हैरानी हुई। थीओ का कैफ़े एक पार्टी-प्लेस बन गया था। सारे कप पर मेरे फोटो थे। उस फोटो में मैं गा रहा था। क्या आलू ने ‘आलू शेक’ का नाम फिर से ‘चिली शेक’ कर दिया? लेकिन मैं तो जीता भी नहीं था। चारों ओर मेरे फोटोज़ लगे थे। जब मैंने पहली बार सिंगिंग क्लास जॉइन की, पहली बार नदी किनारे गाना गाया, मेरा पहला कॉम्पिटिशन, मेरे सिंगिंग की स्पेशल टी-शर्ट जो मम्मी-पापा ने मेरे लिए खरीदी थी... ये सभी यादें उन फोटोज़ में थीं। ऐसा लग रहा था मानो किसी ने सिंगिंग स्पेसशिप में बिठाकर मुझे टाइम ट्रैवल करा दिया हो। अब मेरे शरीर में जलन नहीं हो रही थी।
थीओ को अभी तक पता नहीं चला था कि मैं आ गया हूँ। थीओ और ज़ोई किचन में तैयारी करते हुए बातें कर रहे थे, ‘आलू तो बेस्ट है ही लेकिन चिली जैसा तो कोई नहीं है।’ तो ज़ोई बोली, ‘हाँ, सच में! कौन आखिरी मिनिट में अपना सॉन्ग बदलकर इस तरह कोको को जीतने देगा! कितना बड़ा दिल है उसका...’ मैंने सोचा, ‘ये लोग क्या बातें कर रहे हैं? मैंने कोको को जीतने दिया?’
मैं कुछ समझ पाता या कुछ पूछता तभी मुझे घरर.. घरर.. स्केट्स की आवाज़ सुनाई दी। पीछे मुड़कर देखा तो आलू फुल स्पीड में आ रहा था। स्पीड के कारण उसका बड़ा सा पेट इतनी ज़ोर से उछल रहा था कि पकड़ा-पकड़ी खेलती हुई पाँच मक्खियाँ उसकी चपेट में आ गईं और उसके पेट से टकराकर चक्कर खाकर गिर गईं।
मैं कुछ कहता उससे पहले ही उसका चेहरा देखकर मुझे पता चल गया कि आलू का स्केट्स पर कन्ट्रोल नहीं है। अगर मैं नहीं उडूँगा तो मेरा हाल भी उन मक्खियों जैसा हो जाएगा। मैं जैसे ही उड़ने लगा तभी आलू पेड़ से टकराकर ज़मीन पर गिर पड़ा। मैंने सोचा, ‘क्या यह एक स्केटिंग चैम्पियन है?!’ इसे पहले कि मैं उसे कुछ कहता, मुझे ज़ोर से वही कर्कश आवाज़ सुनाई दी, ‘चि...ली... ’ मैं मुड़कर देखता उससे पहले पार्सली आकर मुझसे ज़ोर से टकराया और मुझे गोल-गोल घूमा दिया। वह भी आलू की तरह पेड़ से टकराकर आलू पर गिर पड़ा। आलू का तो समझ में आता है, लेकिन पार्सली इतना बड़ा हो गया फिर भी उसे उड़ना नहीं आता! गोल-गोल घूमने के कारण मुझे भी मक्खियों की तरह चक्कर आ गए।
जो कुछ हुआ वह कम था कि आलू ने कहा, ‘मैं जीत गया।’ तो थूक उड़ाते हुए पार्सली ने ज़ोर से कहा, ‘नहीं, मैं जीत गया।’ और फिर दोनों ज़ोर से हँसने लगे। कहीं पेड़ से टकराने के कारण दोनों के दिमाग पर कुछ असर तो नहीं हुआ होगा न? मुझे अभी भी चक्कर आ रहे थे। तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ा।
भगवान का शुक्र है! मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने कहा, ‘थैंक यू, इस पार्सली ने तो सब गोल-गोल घूमा दिया।’ चक्कर कम होने पर मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मुझे पकड़ने वाला कोई और नहीं बल्कि कोको थी। वह मेरे सामने बत्तीसी दिखाकर हँस रही थी। उसने मुझसे पूछा, ‘चिली, तुम ठीक हो न?’ मैं उसे कहना चाहता था कि ‘तुम यहाँ हो तो मैं कैसे ठीक हो सकता हूँ?’