आलू-चिली - चैप्टर-१५

थाओ के केफ़े पर अपने लिए चल रही पार्टी को देखकर मुश्किल से चिली कै मूड ठीक हुआ था। लेकिन वहाँ उसने कोको को देखा और जिस तरह सभी ने कोको की प्रशंसा की, उससे चिली को फिर से शरीर में जलन होने लगी। वह पार्टी छोड़कर चला गया। उसे जाता हुआ देखकर आलू उसके पीछे गया। अब आगे क्या हुआ वह आलू ही बताएगा।
चिली की आँखों में आँसू देखकर मुझे बहुत दुःख हुआ। उसके लिए तो ये पार्टी रखी थी और वही... मुझे लगता है कि अगर मैं एक बार उसके साथ बात कर लूँगा तो सब ठीक हो जाएगा।
मैं उसके पीछे गया। पास जाकर उसे बुलाया, ‘चिली, कहाँ जा रहे हो चलो न हम साथ में चिली शेक पीते हैं!’

चिली पीछे मुड़ा और बहुत रोने लगा और कहने लगा, ‘तुम्हें जो कलना है वह कलो। पाल्टी मेरी है तो टोटो यहाँ क्या कल लहा है? टुम मेले फ्लेन्ड हो या कोको के?’
तभी पार्सली वहाँ आया और मेरे कान में कहने लगा, ‘आलू भाई, यह क्या बोल रहा है यह रोते हुए बोलेगा तो कैसे पता चलेगा?’और मुझे लगा, ठीक से तो बोल रहा है। मैंने पार्सली से कहा, ‘वह कह रहा है कि तुम्हें जो करना है वह करो। पार्टी मेरी है तो कोको यहाँ क्या कर रहा है? तुम मेरे फ्रेन्ड हो या कोको के?’

और मैं चिली से कुछ कहता उससे पहले ही पार्सली कहने लगा, ‘तुम्हें शरम नहीं आती, चिली? आलू भाई ने तुम्हारे लिए इतनी मेहनत की। तुम हार गए हो, फिर भी तुम्हारे लिए इतनी बड़ी पार्टी रखी! और फिर भी तुम उन्हें जो जी में आए बोल रहे हो!’
बस, फिर तो चिली का रोना बंद हो गया और वह गुस्से से लाल-पीला हो गया और कहने लगा, “तो नहीं करना चाहिए था। मैंने उससे कहाँ कहा था कि मेरे लिए पार्टी रखो। लेकिन मैंने तो उसके लिए पार्टी दी थी। वह जितनी बार स्केटिंग प्रैक्टिस करता था, तब मैं उसे चियर करने जाता था और मैं उससे ऐसा भी नहीं कहता था कि ‘शायद कुल्फी जीत जाएगा।’ मैं हमेशा ऐसा ही कहता था कि ‘आलू, तुम ही जीतोगे, तुम कर सकते हो।’ मैंने कुल्फी को अपना फ्रेन्ड नहीं बना लिया था!’
मेरी इच्छा नहीं थी फिर भी चिली को मुझसे दुःख हो गया था। इसलिए मेरे मुँह से निकल गया, ‘साँरी चिली, तुम मेरी बात सुनो न... मैं तुम्हें बताता...’

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