आलू-चिली - चैप्टर-१७

चिली ने आलू के साथ झगड़ा किया। उसमें पार्सली बीच में आया। इसलिए चिली और भी ज्यादा गुस्सा हो गया और अंत में वह आलू से फ्रेन्ड्शिप तोड़ कर चला गया। इस बात से आलू-चिली बहुत दुःखी हैं और पार्सली चिली के ऐसे व्यवहार से बहुत गुस्सा है। अब आलू आगे क्या करेगा?
इससे पहले कि मैं किसी से कुछ कहता कि कोको बोली, ‘सॉरी आलू, मैं जहाँ भी जाती हूँ वहाँ सब गडबड़ हो जाता है!’ और फिर वह भी रोते हुए चली गई। पार्सली ने फिर से बोलना शुरू किया, ‘आलूभाई, यह चिली बहुत खराब बेस्ट फ्रेन्ड है। आप कोई नया बेस्ट फ्रेन्ड बना लो। एक बार हार गया तो कैसा व्यवहार कर रहा है! मैं अपने बेस्ट फ्रेन्ड के लिए अखबार में ऐड डालने वाला हूँ, क्या आपको भी डालना है?’ और तभी उसके दिमाग में एक जबरदस्त आइडिया आया और वह मेरे पास आकर, आँखें झपकाकर, भोलेपन से कहने लगा, ‘आलूभाई एक काम करते हैं, आप और मैं बेस्ट फ्रेन्ड बन जाते हैं।’

मैं उसे कुछ कहता, उससे पहले वह बोला, ‘मैं बेस्ट सिंगर और आप बेस्ट डान्सर। वाह! क्या जोरदार पेयर होगा हमारा!’ तभी जिफ्फी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। मुझे पता नहीं कि वह पार्सली की बात से दुःखी होकर रो रहा था या यह सुनकर रो पड़ा था कि पार्सली खुद को बेस्ट सिंगर मानता है।
पार्सली को इस तरह मेरे आसपास उड़ता देखकर मुझे चक्कर आ गए। मैंने उसे सूंड से पकड़कर डाली पर बिठाया और कहा, ‘चिली और मैं बेस्ट फ्रेन्ड हैं और चाहे जो हो जाए, हम हमेशा बेट फ्रेन्ड रहेंगे...’
पार्सली ने मुझसे पूछा, ‘लेकिन उसने तो...’ मैंने उसे बीच में टोकते हुए कहा, ‘वह मेरा बेस्ट फ्रेन्ड है जब मैं बहुत छोटा था तब से और हमेशा रहेगा!’

यह सुनकर थीओ पूछे बिना नहीं रह सका, ‘आलू, उसने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया फिर भी... ?’ ये लोग चिली का आज का व्यवहार देख रहे हैं। लेकिन मुझे याद है कि चिली ने बचपन में मेरे लिए क्या किया था!
मैंने उन्हें बताया कि हम बेस्ट फ्रेन्ड कैसे बने।
‘मैं जन्म से ही बाकी सब से अलग था। बाकी सारे हाथी ग्रे कलर के थे और मैं ऐसा... ऊपर से मेरी पूँछ भी अलग थी। मैं जहाँ भी जाता, सब मेरा मज़ाक उड़ाते। एक दिन मैं सबके मज़ाक से तंग आकर रो पड़ा। तभी से उन्होंने मेरा नाम ‘रंगीन रोतलू’ रख दिया । उसके बाद से कोई मुझे आलू नाम से बुलाता ही नहीं था।’

मैं पूरा दिन घर पर ही रहता था। मुझे कहीं भी जाना अच्छा नहीं लगता था। लेकिन जब मैंने पहली बार स्कूल के स्केटिंग क्लास के बारे में सुना, तो मुझे स्केटिंग करने का बहुत मन हुआ। मैने हिम्मत जुटाई और स्केटिंग क्लास में ऐडमिशन ले लिया। तब सबने मुझे बहुत चिढ़ाया, ‘देखना रोतलू तुम गिर पड़ो तो तुम्हारा सारा कलर ज़मीन पर न गिर जाए’ ‘अब रंगीन रोतलू स्केटिंग करेगा, स्केट्स भी तुम्हारे जैसे कलर का ही लेना। मैं सबसे भागकर तालाब पर चला गया। वहाँ पर तालाब के पानी में खुद को देखकर सोचता रहा कि क्यों मैं बाकी सब से अलग हूँ... ’

 

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