श्री राम जब चौदह साल का वनवास पूर्ण करके अयोध्या वापस लौटे तब सब से पहले वे माताओं से मिलने गए।
जब वे माता कैकेई के पास गए। कैकेई: बेटा राम मुझे माफ़ कर देना। मैंने तुम्हे बहुत बड़ा दंड दे दिया।
कैकेई: तुम्हारे वनवास का कारण में हूँ | इसका मुझे बहुत पछतावा हैं |
राम: माँ! रोओ मत। "आपने तो मेरे ऊपर असीम उपकार किया हैं।”
राम: माँ मेरे ऊपर पिताजी का कितना अपार मोह हैं ? इसका मुझे कब पता चला? जब वनवास निमित बना तब।
भरत कितना महात्मा है कितना अनासक्त है इसकी जानकारी में भी वनवास ही कारणभूत बना न ?
हनुमान की पवित्र भक्ति, सुग्रीव की मैत्री, लक्ष्मण का अनुपम भ्रातृत्व, सीता की महानता
और रावण के साथ युद्ध से ही मेरी शक्ति का प्रमाण भी वनवास के कारण ही मिला है।
इतनी छोटी उम्र में साधु, संतो और गुरुजनों की सेवा का अमूल्य अवसर जो मुझे प्राप्त हुआ।
ऐसे थे भगवान श्री राम, पूरी ज़िंदगी में कभी माता कैकेई के कभी नहीं देखे, उल्टा उनका उपकार ही माना है।
भगवान राम के आगमन की आतुरता से राह देखते अयोध्या वासीयो ने पुरे शहर में दियों से रौशनी कर दिवाली का त्यौहार मनाया।
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